सुकमा। चार दशक बाद बस्तर में नक्सल प्रभाव घटता दिख रहा है। सुरक्षा का अहसास होते ही नक्सल हिंसा से त्रस्त हो चुके ग्रामीणों ने नक्सलवाद को कड़ा जवाब देते हुए यहां हिड़मा और देवा बारसे के मकानों को तोड़ दिया है। इन दोनों के परिवार अब गांव छोड़कर जा चुके हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गांव में सुरक्षाबलों का कैंप खुलने के बाद से हिड़मा अपनी मां को लेकर गांव छोड़ चुका है। खाली पड़ा घर अब खंडहर बन गया था, जिसे पड़ोसी गांव के लोगों ने आकर तोड़ दिया।
आपको बता दें इसी वर्ष पूवर्ती गांव में सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया था। कैंप की स्थापना के दिन हिड़मा की मां अपने घर में मौजूद थी और इस दौरान एसपी किरण चव्हाण ने उनसे मुलाकात भी की थी। धीरे-धीरे गांव में सुरक्षाबलों की उपस्थिति बढ़ने के साथ हिड़मा की मां गांव से गायब हो गई।
सुरक्षाबलों ने कैंप स्थापित करने के बाद पूवर्ती गांव और आसपास के क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत कर ली है। यह क्षेत्र पहले नक्सलियों का प्रभाव क्षेत्र माना जाता था। कैंप खुलने के बाद से नक्सलियों की गतिविधियों में कमी आई है, लेकिन उनके समर्थकों और उनके बचे हुए ठिकानों पर कार्रवाई जारी है।
घर टूटने के पीछे की मंशा और इसके वास्तविक कारणों पर फिलहाल स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है। एसपी और अन्य अधिकारी इस घटना पर किसी भी भूमिका से इनकार कर रहे हैं। वहीं, ग्रामीणों के बयान भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। यह घटना नक्सली गतिविधियों और सुरक्षाबलों के बीच चल रही रणनीतिक लड़ाई का हिस्सा माना जा रहा है।
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