सरगुजा समय अंबिकापुर – सरगुजा संभाग में निजी एवं विवादित अस्पताल दयानिधि जो कि कन्या परिसर रोड़ विशुनपुर अंबिकापुर में स्थित है ।
यह निजी अस्पताल किसी मरीज के आने का मोहताज नहीं है क्योंकि इस निजी अस्पताल में पूर्णकालिक शासकीय नौकरी जिला हॉस्पिटल में पदस्थ डॉक्टर संदीप त्रिपाठी इस निजी अस्पताल की दलाली अपने अन्य दलालों के माध्यम से करते है। और इनके आदेशों के पालन करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अन्य कई दलाल अफसर बेखौफ बैठे है ।
जिसको यह संज्ञा देना कि अकबर के दरबार में तैनात नौ रत्न से बढ़कर ये रत्न संदीप त्रिपाठी के दरबार के दरबारी होने की होड़ में पहला सबसे ज्यादा भ्रष्ट्राचार करने वाला दरबारी बनने केलिए एक से बढ़कर एक गोलमाल एवं कारनामे करने में लगे हुए हैं।

बड़े बड़े कारनामों एवं नियम विरुद्ध तरीके से आयुष्मान योजना का लाभ लेना, स्वयं निजी अस्पताल दयानिधि में 09 बेड को बढ़वा कर 20 बिस्तर का हॉस्पिटल बिना मूलभूत सुविधाओं के कर लेना बिना रैंप, बिना पार्किंग, मानक के अनुसार लिफ्ट न होना जैसी महत्वपूर्ण कर्मियों के बावजूद किसी प्रकार की विभागीय कार्यवाही नहीं होना एवं आयुष्मान भारत योजना से करोड़ों रुपए का अवैध भुगतान होना यह बात प्रकट करता है कि इस इस पूर्णकालिक शासकीय डॉक्टर संदीप त्रिपाठी एवं निजी हॉस्पिटल दयानिधि जिसके स्वघोषित संचालक डॉक्टर संदीप त्रिपाठी है के ऊपर कार्यवाही करने में आला अफसरों की पैंट गीली हो जा रही है।
जिसका कारण यह माना जा सकता है कि संदीप त्रिपाठी के आयुष्मान योजना एवं अन्य मामलों में अवैध तरीके से शासन को चुना लगते हुए करोड़ों रुपए की अवैध कमाई किए हुए पैसों से आला अफसरों के सामने मोटी – मोटी रकमों वाली गड्डी फेंकना माना जा सकता है।

मतलब साफ है कि संदीप त्रिपाठी एवं दयानिधि हॉस्पिटल के ऊपर कार्यवाही नहीं करने को मजबूर अफसर इस डॉक्टर के फेंके टुकड़ों का भरपूर लाभ ले रहे हैं जिसके कारण शासकीय डॉक्टर रहते हुए भी निजी अस्पताल का संचालन करने वाले संदीप त्रिपाठी पर कार्यवाही करने वाला कोई अफसर नहीं जो ईमानदारी पूर्वक इन साहब पर कार्यवाही कर पाए।
सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर एवं संभागीय कमिश्नर तक के आदेशों को अनदेखा करते हुए सरगुजा जिला के स्वास्थ्य विभाग के CMHO संदीप त्रिपाठी पर मेहरबानी बनाए हुए है। सरगुजा कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिया था कि उक्त डॉक्टर संदीप त्रिपाठी को तत्काल नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी के प्रभार से छुट्टी करते हुए उक्त निजी दयानिधि हॉस्पिटल की तमाम फाइल एवं आयुष्मान योजना की जांच करने के साथ साथ अन्य समस्त नियमों के साथ हॉस्पिटल की जांच कराई जाए और दोषी पाने पर डॉक्टर संदीप त्रिपाठी पर निलंबन की कार्यवाही कराई जाए।

परन्तु कार्यवाही के नाम पर CMHO साहब के द्वारा मात्र खानापूर्ति करवाया जा रहा है जिससे शहर एवं स्वास्थ्य विभाग में जोड़ों से चर्चा है संदीप त्रिपाठी के द्वारा अवैध उगाही किए हुए रकम की हिस्सेदार CMHO साहब भी है अब देखने वाली बात यह है कि CMHO साहब कब तक इस विवादित डॉक्टर त्रिपाठी एवं नियम विरुद्ध तरीके से संचालित निजी हॉस्पिटल दयानिधि को बचाते है। क्या डॉक्टर त्रिपाठी को निलंबन से बचाते बचाते स्वयं निलंबित होने की तैयारी तो CMHO साहब नहीं कर ले रहे भविष्य में यह भी देखने वाली बात होगी ।

विशेष सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय जिला अस्पताल में संदीप त्रिपाठी के कई दलाल पल रहे है जिसका अवैधानिक रूप से लाभ जब ये स्वयं नर्सिंग होम एक्ट के नोडल प्रभारी थे तब इन दलालों को दिलाया था जिसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब निजी अस्पताल दयानिधि में जांच करने टिम पहुंची अब इस टीम में एक से बढ़कर एक गोलमाल करने वाले थे जिसके ऊपर स्वयं नियम विरुद्ध कार्य करने का लगातार आरोप लगता रहता है ।
मिली जानकारी के अनुसार बता दे कि दयानिधि हॉस्पिटल में जांच टिम करने पहुंची टिम में एक संदिग्ध व्यक्ति हो होना अत्यंत आश्चर्यजनक बात है क्योंकि इस व्यक्ति को खुला छूट स्वास्थ्य विभाग से मिला हुआ है ऐसा कहना गलत नहीं होगा।

विशेष सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां एक तरफ दयानिधि निजी अस्पताल में जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रही है वहीं उदयपुर स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ अफसर डॉक्टर दीपक गुप्ता (डॉ. डी. के. गुप्ता) MD पैथो का इस टीम में नाम नहीं होते हुए भी जांच को प्रभावित करने के लिए वहां पहुंचना यह सिद्ध करता है कि डॉक्टर साहब इस जांच में सिर्फ दलाली करते हुए जांच को प्रभावित करने पहुंचे थे।

क्योंकि डॉक्टर संदीप त्रिपाठी के मेहरबानी से ही उक्त डॉक्टर दीपक गुप्ता के द्वारा कई जगह बेखौफ होकर अपना लैब चलाया जा रहा है जहां डॉक्टर दीपक गुप्ता (डॉ डी के गुप्ता) के ओरिजनल हस्ताक्षर के जगह सिल मोहर (रबर स्टाम्प) के हस्ताक्षर का उपयोग मरीजों को प्रदान किए जाने वाले जांच रिपोर्ट में किया जा रहा है।
अब इस तरह के कारनामों को अंजाम देने वाले डॉक्टर जो अपने निजी स्वार्थ के कारण मासूम मरीजों के जान से भी खिलवाड़ करने को आतुर है और एक डिग्री से सरगुजा जिला के साथ साथ अन्य जिला में भी कई- कई हॉस्पिटल में पैथॉलाजी लैब बेखौफ संचालित कर रहे है और सबसे बड़ी विडम्बना तो यह भी है कि उक्त डॉक्टर गुप्ता निज अस्पताल दयानिधि में भी पैथॉलाजी लैब चला रहा है जिसके जांच रिपोर्ट में ओरिजनल हस्ताक्षर के जगह सिल मोहर के माध्यम से हस्ताक्षर किया जाना पाया गया है।

इस तरह के रबर स्टाम्प हस्ताक्षर वाले जॉच रिर्पोट की जवाबदारी कौन लेता है अगर किसी मरीज को गलत रिपोर्ट मिल जाता है तो वह किसको अपने इस तरह के फर्जी तरीके से सिल मोहर वाले हस्ताक्षर का रिपोर्ट लेकर शिकायत करेगा।
अब इन तमाम प्रकार के दलालों के बड़े बड़े कारनामों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरगुजा संभाग में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था अत्यंत गंभीर एवं दयनीय है इस प्रकार के डॉक्टर जो विभाग को दीमक की तरह खोखला कर रहे है इनपर अब कार्यवाही क्या होती है देखने वाली बात है।
हमारे टिम की खोजबीन अभी जारी है बहुत जल्द ही डॉक्टर दीपक गुप्ता अघोषित लैब जो कि सरगुजा के साथ साथ अन्य जिला के निजी अस्पतालों में संचालित है का भांडा फोड़ किया जाएगा।

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