सरगुजा समय अंबिकापुर :- बहुत पुरानी कहावत हैं की सावन में जो व्यक्ति अंधा हो जाए उसे हर तरफ हरा भरा ही दीखता हैं ठीक इस तरह के कहावत कों जिला सरगुजा कलेक्टर कार्यालय के कुछ अफसर एवं जिला सरगुजा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी CHMO के द्वारा चरितार्थ किया जा रहा हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह तमाम मामला एवं कहावत कों सरगुजा में चल रही विभागीय भर्रासाही एवं दलाली पूर्वक भ्रष्टाचारी वाली वस्तु स्थिति खुद ब खुद बयां कर रही हैं।

जैसा की हमनें एवं कई अन्य अखबारों एवं समाचार पोर्टलों ने पूर्व में कई खबरों में यह बताया था की दयानिधि हॉस्पिटल जो की एक निजी संस्थान हैं उसके संचालक शासकीय पूर्णकलिक सेवक डॉक्टर संदीप त्रिपाठी की धर्मपत्नी हैं जिस हॉस्पिटल में डॉक्टर संदीप त्रिपाठी का विशेष ध्यान एवं सेवा रहता हैं खैर यह होना लाजमी भी हैं क्योंकि अगर जब खुद के हॉस्पिटल में अगर व्यक्ति काम नहीं करेगा तों हॉस्पिटल कैसे चलेगा इस लिए पूरी ईमानदारी के साथ डॉक्टर संदीप त्रिपाठी अपने हॉस्पिटल में सेवा देते हैं परंतु सबसे बड़ी विडंबना यह हैं की निजी हॉस्पिटल में सेवा देने वाले डॉक्टर साहब कों छत्तीसगढ़ की सरकार से लाखों रूपए की सैलरी शासकीय हॉस्पिटल में काम करने के लिए मिल रही हैं मगर सेवा निजी हॉस्पिटल में दे रहे हैं और शासकीय हॉस्पिटल में अपने निजी हॉस्पिटल के कर्जा वसूली हेतु मरीजों एवं मीडिया कर्मियों से गुंडागर्दी कर रहे हैं ।
खैर अभी तक हम आपको यह बता रहे थे की डॉक्टर संदीप त्रिपाठी का दयानिधि हॉस्पिटल से किस – किस तरह से वास्ता हैं वह वहां कार्य करते हुए कैसे शासन के तमाम नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए सरकारी नियम क़ानून का पालन करने की बता कहने वालों के गाल पर करारा तमाचा जड़ा हैं और जड़ रहे हैं । बता दे की नर्सिंग होम एक्ट के तमाम नियमों का पालन करवाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होती हैं परंतु जब विभाग के कुछ आला अफसर ही अगर दलाली एवं रसूखदारों के चरणवंदन एवं चाटुकारी करने पर उतारू हो जाए तों तमाम नियमों की धज्जियाँ उड़ना भी तय हो जाता हैं।

अभी तक हम आपको बता रहे थे की डॉक्टर संदीप त्रिपाठी ही निजी दयानिधि हॉस्पिटल के मालिक मुखिया हैं जो अपनी पत्नी के नाम पर उक्त हॉस्पिटल का संचालन कर रहे हैं इस प्रकार की खबरें हमने प्रकाशित की थी जिसके बाद कलेक्टर कार्यालय से सात लोगों की जाँच टीम बनाई गई उसमे भी उक्त दबंग रसूखदार डॉक्टर संदीप त्रिपाठी की दबंगई काम आई महज एक से दो दिन में ही जाँच दल में बदलाव करते हुए पुनः 6 लोगों की जाँच टीम बनाई गई जिसमे कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिनके खुद के तार किसी निजी हॉस्पिटल से जुड़े हुए हैं और उन पर खुद आरोप हैं की वह शासकीय नौकरी में रहते हुए निजी हॉस्पिटल में आर्थिक लाभ के लिए सेवा दे रहे हैं।
इसमें यही मामला फिट बैठता हैं की हम तुमको बचाएंगे तुम हमको बचा लो इस तरह के मामलों एवं बदलाव हुए जाँच टीम में अधिकांश सदस्य डॉक्टर संदीप त्रिपाठी के रसूकदारी के दीवाने हैं. खैर अब कैसे खुद के आरोप से बचने के लिए दूसरे के ऊपर लगे आरोप से छुटकारा दिलाना हैं यह विषय आरोप लगने वालों का हैं ।
जिस डॉक्टर के ऊपर यह आरोप लग रहा हैं की खुद नर्सिंग होम एक्ट का नोडल अधिकारी रहते हुए अपने स्वयं के हॉस्पिटल कों लाभ पंहुचा रहा हैं और अन्य छोटे तबके के हॉस्पिटल संचालकों एवं गाँव – गाँव से मरीज भेजनें का निजी हॉस्पिटल दयानिधि में भेजनें का दबाव विभागीय लोगों पर बना रहा हैं उससे तों यह साफ हैं की साहब के दबंगई एवं रसूखदारी के सामने विभागीय सिस्टम नतमस्तक हैं।
डॉक्टर संदीप त्रिपाठी ने खुद माना हैं की शासकीय सेवक डॉक्टर संदीप त्रिपाठी का ही निजी हॉस्पिटल दयानिधि हैं जिसका संचालन उनकी पत्नी के नाम से होता हैं उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के आँखों में कमीशन की मोटी रकम के कारण पट्टी बंध गई हैं जो व्यक्ति खुद ब खुद बता रहा हो की उसका ही हॉस्पिटल दयानिधि हैं उसके बाद भी उक्त डॉक्टर का विभागीय मलाईदार कुर्सी से मोह भंग नहीं हो रहा और विभाग के आला अफसरों कों कमीशन रूपी नोटों की गड्डी से मतलब हैं इस कारण यह नोडल अधिकारी के कुर्सी में बैठ जमकर नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहा हैं एवं मासूम गरीब मरीजों का खून चूस रहा।

महज एक से दो दिनों के अंदर कलेक्टर कार्यालय से जाँच टीम के सदस्यों का बदलना सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर के ईमानदारी वाली छबि पर भी एक सवालिया निशान खड़ा करता हैं की कैसे जाँच टीम में उक्त डॉक्टर के चहेतों कों रखने टीम के सदस्यों कों बदल दिया गया एवं कैसे एक डॉक्टर जो की पूर्णकलिक शासकीय सेवक हैं कों स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाली कुर्सी सौंप दी गई जिसमे नर्सिंग होम एक्ट के नियमों से आजादी एक निजी हॉस्पिटल दयानिधि जो की खुद का हॉस्पिटल हैं कई कमियों के बावजूद संचालित हैं.
सरगुजा कलेक्टर कों चाहिए की उक्त मामले कों गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर संदीप त्रिपाठी कों नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी से हटाते हुए दयानिधि हॉस्पिटल की विधिवत जाँच ईमानदार अफसरों के द्वारा करवानी चाहिए जिससे दयानिधि हॉस्पिटल के तमाम कमियों का पर्दाफास हो सके एवं विधवत कार्यवाही हो सके की कैसे उक्त डॉक्टर ने अपने नोडल अधिकारी होने का फायदा उठाते हुए निजी हॉस्पिटल कों संचालित कर रहा हैं।
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