• Thu. Feb 6th, 2025

राजस्व अधिकारियों के लिए न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम लागू, अब तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पर नहीं दर्ज होगी FIR

रायपुर : छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की एक मांग पूरी करते हुए राजस्व अधिकारियों के लिए न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम लागू कर दिया गया है। इसके तहत अब तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पर बिना विभागीय अनुमति के सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होगी। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ ने इस मांग को प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद राजस्व सचिव अविनाश चंपावत ने आदेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को पत्र जारी कर इसे लागू करने के लिए कहा है।

ऐसा सामने आ रहा था कि न्यायालयीन प्रकरणों के निराकरण के पश्चात असंतुष्ट पक्षकारों द्वारा अपील न कर सीधे पीठासीन अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज करवाने पुलिस में आवेदन दे देते थे। पुलिस द्वारा भी पहले एफआईआर दर्ज कर बाद में जांच हेतु पीठासीन अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाता था।

इस प्रकार न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के अनुसार राजस्व न्यायालय के पीठासित अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त नहीं हो पा रहा था। कई बार यह भी देखा जा रहा था कि असंतुष्ट पक्ष करो द्वारा पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध सीधे सिविल न्यायालय में वाद दायर कर दिया जा रहा है तथा सिविल न्यायाधीश द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देशों के अभाव में पुलिस को प्राप्त शिकायत की जांच हेतु प्रेषित किया जा रहा है तथा पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जा रही है

ज्यूडिशल ऑफीसर्स प्रोटेक्शन एक्ट 1850 के अंतर्गत न्यायिक अधिकारियों की सद्भावना में किए गए न्यायालय के कार्य अथवा पारित आदेशों के विरुद्ध सिविल न्यायालय में मुकदमा चलाए जाने के संबंध में संरक्षण प्राप्त है। इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जो न्यायालय के रूप में काम करता है उसे इस नियत के तहत संरक्षण प्राप्त है। इस अधिनियम के अंतर्गत दिया गया संरक्षण इसी सिद्धांत पर दिया गया है कि जो व्यक्ति न्यायालय के रूप में कार्य करता है उसके कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए अत्यंत आवश्यक है कि वह व्यक्ति बिना किसी भय के कार्य कर सके।

जजेस प्रोटेक्शन एक्ट 1985 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधीशों को उनके द्वारा अपने न्यायिक कार्यों के निर्वहन के दौरान किए गए किसी भी कार्य के विरुद्ध सिविल अथवा दांडिक कार्यवाही में संरक्षण प्रदान करता है। 1985 के अधिनियम की धारा 2 (9) के प्रावधान अनुसार न्यायाधीश की परिधि में वे सभी व्यक्ति आएंगे जिन्हें विधि द्वारा किसी न्यायिक कार्यवाही में निर्णायक आदेश या ऐसा आदेश जिसके खिलाफ यदि अपील नहीं की जाए तो वह निर्णायक हो जाएगा, जारी करने की शक्तियां प्रदान की गई है। इसी प्रकार धारा तीन (एक) के अंतर्गत कोई भी न्यायालय किसी ऐसे व्यक्ति जो कि न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहा था उनके द्वारा न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान किए गए कृत्यों के लिए किसी प्रकार सिविल अथवा दांडिक वाद पर विचार नहीं करेगा। जिसको ध्यान में रखते हुए तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के लिए न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम लागू करने का आदेश राजस्व सचिव ने जारी किया है। अब बिना विभागीय अनुमति के राजस्व अधिकारियों पर अपराध दर्ज नहीं हो सकेगा।

अगर आप भी रहना चाहते है अपने आस पास की खबरों से अपडेट तो सरगुजा समय ग्रुप में नीचे दिए लिंक में क्लिक कर के जुड़ सकते है👇👇
Follow this link to join my WhatsApp group: https://chat.whatsapp.com/IlmiehDSy3DJVTK5Zl1dnL
सरगुजा समय के यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: https://youtube.com/@user-kf7nt6iw7z
सरगुजा समय के डेलीहंट प्रोफ़ाइल में ज्वाइन कर के तत्काल सभी खबरों से रहे अपडेट: https://profile.dailyhunt.in/shubhan1804697051650
सरगुजा समय के व्हाट्सप्प चैनल से जुड़ने के लिए: https://whatsapp.com/channel/0029VaXyfh93QxS44HIwSq0z

अन्य