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जिला शिक्षा अधिकारी की निष्क्रियता एवं गैर जिम्मेदारी के कारण निजी स्कूलों पर लगाम लगाने का हर प्रयास हो रहा असफल….




सरगुजा समय समाचार पत्र अंबिकापुर:- सरगुजा जिला मे वर्तमान मे पदस्त जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे की मनमानी एवं उनकी गैर जिम्मेदारी जोरों पर है जिसका खामियाजा माशूम छात्र छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को लागातार भुगतना पड़ रहा है.

https://youtu.be/ZIgv4Y28sac?si=qfAEd58lHpEVRlo2



मिली जानकरी के अनुसार आपकी जानकारी के लिए बता दे की सरगुजा संभाग जो की आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र है जिसके कारण यहाँ के मासूम अभिभावक एवं छात्र छात्राएं इसे जिला शिक्षा अधिकारी के लाचारी के कारण निजी स्कूलों के तानाशाही रवैया एवं निजी स्कूलों के प्रबंधक एवं इनके दलालों द्वारा अपनी दलाली वाले प्रविति से अभिभावकों एवं छात्र छात्राओं को अपनी मीठी- मीठी बातों पर बड़े आसानी गुमराह करने का कार्य किया जाता है.

https://youtu.be/co_L_xR_USk?si=ptLGkaxv3D-rIW9d

आपको बता दे की निजी स्कूलों के दलालों एवं प्रबंधको के द्वारा पहले – पहले अपनी मधुर एवं चिकनी चुपड़ी बातों के चक्कर मे इन मासूम अभिभावकों को अपने बातों से मासूम अभिभावकों एवं छात्र छात्राओं को प्रलोभन एवं झांसे मे ले लिया जाता है, और फिर ये निजी स्कुल वाले इन मासूम अभिभावकों को सर्वप्रथम अपने भरोसे मे ले लेते है उसके बाद इनका अपना तानाशाह वाला रवैया को अपनाते हुए छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को दोहन निजी स्कुल के संचालको एवं इनके द्वारा निर्मित दलालों के द्वारा प्रताड़ित करना जैसा कारनामा मासूम छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों के ऊपर निजी स्कूलों के द्वारा लागातार किया जाता है.

https://youtu.be/ZIgv4Y28sac?si=qfAEd58lHpEVRlo2

मिली जानकारी के अनुसार सरगुजा संभाग जो की आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र मे माना जाता है वहां पर सरगुजा जिला मे वर्तमान मे पदस्त जिला शिक्षा अधिकारी के लाचार एवं गैर जिम्मेदाराना हरकतों से सरगुजा जिला में छात्र-छात्राओं के साथ-साथ अभिभावकों की भी अग्नि परीक्षा के रूप में लिया जा रहा है जिस कारण शिक्षा के लिए तमाम छात्र-छात्राओं के अभिभावक दर-दर भटकते हुए दिखते हैं एवं अंततः हारकर निजी स्कूल के शरण में जाते हैं।

मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि जिन तमाम प्रकार के निजी स्कूल की हम बात कर रहे हैं वह तमाम प्रकार की स्कूल सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी के अधीनस्थ में आते हैं परंतु इन जिला शिक्षा अधिकारी महोदय के पास तनिक क्षण भर भी समय नहीं है की इन स्कूलों पर उनके द्वारा लगाम लगाया जा सके किसी प्रकार की बड़ी अनहोनी होने पर इनके पास एक सीधा सा बहाना है की हमनें शो काज नोटिस जारी कर तीन दिन मे जवाब माँगा है जबकि इनकी नोटिश की महत्वता निजी स्कूलों के प्रबंधको के द्वारा कितनी अहमियत रखती है यह DEO को खुद मालूम है की इनकी नोटिस को निजी स्कुल के प्रबंधक रद्दी के भाव भी नहीं समझते परन्तु इन्हे अपने भेजे गए नोटिस मे बड़ा गुमान रहता है.

https://youtu.be/ZIgv4Y28sac?si=S7n_uX2VofemEOBy



सरगुजा जिला में संचालित तमाम निजी स्कूलों मैं पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावक अत्यंत रूप से लाचार एवं कमजोर दिखते हुए प्रतीत होते हैं जिसका एकमात्र कारण वर्तमान में सरगुजा जिला में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुहे को माना जा सकता है, यह बात हम नहीं कर रहे हैं जबकि पूर्व में निजीकरण वाले स्कूलों के विरोध में संबंधित निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के द्वारा लागातार की जाने वाली शिकायतों एवं धरना प्रदर्शन जैसे बड़े बड़े विरोध को नजर अंदाज करने वाले जिला शिक्षा अधिकारी जो कि अपने एयर कंडीशनर ऑफिस एवं शासन से प्राप्त चार पहिया वाहन के द्वारा अपनी मौज मस्ती एवं अपने परिजनों के कार्य में ले जाने वाले शासन से प्राप्त वहान का दुरुपयोग करते हुए हरदम दिख जाते हैं.

परंतु किसी भी निजी स्कूल के ऊपर कार्रवाई करने की उनकी हिमाकत नहीं होती चाहे इन्हें लाख अभिभावकों का निजी स्कूलों के खिलाफ कई शिकायत प्राप्त हो या लाख धरना प्रदर्शन कर ले परन्तु उस पर कार्यवाही करने पर इनका दिल और दिमाग काम ही नहीं करता क्योंकि निजी स्कूलों के प्रबंधक यहाँ के DEO की ना तो सुनते है बल्कि उन्हें तनिक मात्र का भी भाव नहीं देते परन्तु DEO साहब की बातों का लोहा भी मानना पड़ेगा ये अपने ही मुँह मिया मिठू बनने का कोई कसर नहीं छोड़ते भले ही इनकी कोई सराहना ना करें परन्तु ये खुद अपना सराहना करवाने मे माहिर है .

सरगुजा समय के एक सवाल पर इनका जवाब आया की कोरोना काल मे इनके द्वारा निजीकरण स्कूल के विरुद्ध तमाम प्रकार की कार्यवाही करते हुए अभिभावकों को उनके बच्चों का फीस का रकम वापस दिलवाया गया परन्तु सरगुजा समय की पड़ताल एवं सोसल मिडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार DEO की इस बात से यह स्पस्ट होता है की यह आपदा मे अवसर खोजने वाले अधिकारी मात्र है.

निजी स्कूलों के विरोध मे अभिभावकों ने लगातार कई मामलों पर मोर्चा खोल रखा था जिस पर कार्रवाई करने का विचार संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा किया ही नहीं गया एवं तमाम प्रकार के अभिभावकों के द्वारा निजी स्कूलों के विरुद्ध किए गए हड़ताल एवं शिकायतों पर कार्यवाही करने की उनकी मंशा एवं हिमाकत नहीं हुई जिससे यह माना जा सकता है की निजी स्कूलों के रहमों करम पर DEO की कुर्सी एवं जेब की गर्मी बची है.

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