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रामानुजगंज जमीन दलालों ने भगवान को दिया तगड़ा चैलेंज मृत व्यक्ति को पुनः जिन्दा कर करवा दिया जमीन का रजिस्ट्री, करोड़ों रूपए वाले जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाने मे कौन-कौन शामिल पढ़े पूरी खबर…

सरगुजा समय समाचार पत्र बलरामपुर :- आज कल जमीन दलालों का जलवा एवं दबदबा इस कदर बढ़ गया है की इनके आगे समस्त नियम क़ानून शिथिल होते हुए देखे जा रहे हैं.

इन दलालों का दबदबा एवं ख़ौफ़ शहर मे इस कदर व्याप्त है की इनके खिलाफ बोलने की हिमाकत किसी के पास नहीं है और ना ही कोई इनके खिलाफ आवाज उठाने वाला है यह हम नहीं कह रहे है बल्कि इनके द्वारा किये आश्चर्यजनक कारनामे से स्पष्ट होता दिखाई दे रहा है.

रामानुजगंज मे फर्जी एवं आपराधिक तरीके से जमीन रजिस्ट्री के बारे में अगर चर्चा की जाए तो सरगुजा संभाग का एक दो मामले को छोड़ दें तो यह सबसे बड़ा जमीन फर्जीवाड़ा होना माना जा सकता है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामानुजगंज में जिस जमीन का रजिस्ट्री फर्जी तरीके से भू माफियाओं के द्वारा करवा लिया गया है वह भूमि के स्वामी की मृत्यु कई वर्ष पूर्व ही हो चुकी है लेकिन जमीन दलालों के हौसले इतने बुलंद है कि भगवान को भी चैलेंज देकर व्यक्ति को पूरा जीवन दान देते हुए इस फर्जी जमीन रजिस्ट्री के काले कारनामे को अंजाम दे डाला.

इस तरह के काले कारनामे में जमीन दलालों के पीछे किसका हाथ है यह तो भगवान ही समझे लेकिन इतने बड़े कारनामें के बाद भी पूरा का पूरा शासन – प्रशासन शांत बैठा हुआ है उनके कान मे जू तक नहीं रेंग रहा इस पुरे मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है उससे यह ज्ञात होता है की पूरे मामले में किसी बड़ी हस्ती का हाथ हों सकता है.


तमाम मामलों मे पुलिस प्रशासन के द्वारा खानापूर्ति करने की लगभग लगभग तैयारी पूरी हो चुकी है?.

विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करोड़ों रुपए वाली जमीन को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री भू माफियाओं के सिर्फ एक इशारे मात्र से हो गया इस कारनामे को करने के लिए जिस तरह से पूरा मामला सेट किया गया है उससे यह जान पड़ता है की पुलिस प्रशासन की भी इस तमाम मामले मे मौन स्वीकृति हो सकती है.

विशेष सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग ने अपने पीठ थपथपाने के लिए क्रेता विक्रेता जो की इस मामले मे स्वयं संदिग्ध समाने जा सकते है उन्हें आवेदक बना कर एक व्यक्ति पर गरीब व्यक्ति पर पूरा ठीकरा फोड़ डाला जो महज 10000.00 रूपए के लिए गहनी दुक्की बनने तैयार हों गया था, पुलिस ने इन भू माफियाओ के बड़े बड़े मगरमच्छों पर हाथ ना डालकर एक छोटी मछली को बतौर फर्जी तरीके जमीन रजिस्ट्री का मुख्य आरोपी बता कर जेल भेज दिया जिससे मामला ठंढा हो जाये.


रामानुजगंज हल्का नंबर 35 के पटवारी या दलाली? बाबा यह तो वह स्वयं ही जाने भू माफियाओ के ऊपर उनकी मेहरबानी क्यों…

रामानुजगंज में हुए फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री कराने का जो मामला है वह गंभीर रूप से जांच का विषय है जिससे इस पूरे मामले के संदिग्ध स्थिति से पर्दा उठ जाए. जिस विपरीत परिस्थिति मे संबंधित हल्का के पटवारी ने भू माफियाओं की दलाली पूरी ईमानदारी से की है वह काबिले तारीफ है.

मिली जानकारी के अनुसार रामानुजगंज क्षेत्र के हल्का नंबर 35 के पटवारी शैलेश मेहता ने यह साबित कर दिया कि उनके पास भ्रष्टाचारी एवं जमीन दलालों के हित में काम करने का उन्हें तगड़ा अनुभव प्राप्त है, यही कारण है कि मात्र 4 महीने में जिस हल्का में उनका पदभार ग्रहण कराया गया उसी हल्का नंबर मे करोड़ों रूपए की जमीन का वारा न्यारा एक झटके में फर्जी तरीके से करा डाला.

पटवारी बाबा के कारनामे इतने बड़े हैं कि आनन-फानन में उन्हें क्या करना है क्या नहीं करना है यह तक इन्हें जानकारी नहीं हो पाती और भू माफियाओं के एक इशारे पर जमीन का पूरा बंटाधार कर डाला.

मिली जानकारी के अनुसार जिस जमीन का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री हुआ है उस भूमि का स्वामी गहनी दुक्की की था जिसकी मृत्यु विगत कई वर्षो पहले हो चुकी है सूत्रों की माने तो गहनी दुक्की निः संतान था जिसकी वजह से उसकी कोई वारिश नहीं थी उसके बाद भी मृत गहनी दुक्की ने अपनी जमीन बेच डाली यह भ्रष्टाचारी पटवारी बाबा की मेहरबानी के बिना संभव नहीं था.

संबंधित पटवारी जिसके पास स्थल जांच करने का जिम्मा था वह पटवारी स्थल जांच करने गया कि नहीं गया यह तो पटवारी बाबा ही जाने परंतु जिस भूमि का स्थल जांच करने की जवाबदारी पटवारी बाबा के पास थी उस पटवारी बाबा के पास उस वक्त जमीन पर बने लगभग 17 -18 लोगों के मकान तक दिखाई नहीं पड़े और अपने आका का कार्य बिना सोचे समझें कर डाला।

पटवारी बाबा इतने जुनून एवं मदमस्त थे कि उन्हें यह भी पता नहीं कि यह भूमि किसे कैसे कब कहां प्राप्त हुई है एक तरफ पटवारी बाबा लिखते हैं कि शासन से प्राप्त पट्टे की भूमि नहीं है वही अपनी कलम में दूसरी तरफ लिखते हैं कि पट्टा मिलने के कारण 28/12/1962 को नान्हु आत्मज इतवारू के नाम पर दर्ज किया गया.
पटवारी बाबा के किस बात को सही माना जाए या किस बात को गलत यह तो पटवारी बाबा ही बता सकते हैं.

पटवारी बाबा अपने आकाओं एवं भू माफियाओं को खुश करने के लिए किस कदर आतुर एवं हर्ष उल्लास में मदमस्त थे की उन्हें यह तक ज्ञात नहीं रहा कि जिस जमीन की रजिस्ट्री 14/10/2022 को हुई है उसमे 11/12/2022 के दिनांक का हस्ताक्षर कर डाला है जो दिनांक अभी तक आई ही नहीं है।


जिस भू माफियाओं ने फर्जी तरीके से अन्य दूसरे व्यक्ति को भू स्वामी गहनी दुक्की बना कर मुन्ना नागवांसी आत्मज तुलसी नागवांसी एवं राधा सिंह पति बहादुर सिंह को उक्त भूमि फर्जी तरीके से विक्री कर डाली उस पर पटवारी बाबा का तो पता नहीं लेकिन पुलिस प्रशासन अपनी आँखे क्यों मुंद रखी है यह समझ से परे है।

अति विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रामानुजगंज के लोकल निवासी ही जमीन क्रेता है क्या उनकी पुरे रामानुजगंज मे किसी से नहीं जमता सभी से विवाद की स्थिति निर्मित है या विवाद है जिस कारण क्रेताओं को स्वयं के लिए भूमि खरीदी करने हेतु गवाह को झारखण्ड एवं अन्य जगहों से बुलाया गया जबकि दोनों जमीन क्रेता रामानुजगंज के लोकल ही है उसमे एक तो पूर्व पार्षद भी रह चूका है और एक क्रेता के पति देव तो शासकीय विभाग मे बाबू है जिन्होंने जमीन खरीदी के लिए फ़िल्मी अंदाज मे ब्लैक चेक तक दें डाला है.

क्रमशः…..

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