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ग्राम पंचायत सचिवालय में ग्राम सचिव नहीं होते उपस्थित ग्रामीण लगाते रहते हैं चक्कर पर चक्कर लेकिन सुनने वाला कोई नहीं।

ग्राम पंचायतों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त होते जा रहा है जहां अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमौजी चरम पर।
( मोहन प्रताप सिंह )

सूरजपुर (सरगुजा समय)/:– सरकार द्वारा क्षेत्र के अंतिम स्थान की छोटी-छोटी वह प्रमुख समस्याओं के निपटारे के लिए छोटे-छोटे ग्रामों को मिलाकर एक न्याय पंचायत पर सचिवालय खोलने का आदेश दिया था जिससे ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को छोटे-मोटे कामों के लिए विकासखड व जिला स्तर के कार्यालय में चक्कर न काटना पड़े। इसके लिए न्याय पंचायत पर बने सचिवालय पर सचिव की भी तैनाती की गई हैं और इन अधिकारियों पर हमेशा से सरकारी अमले का नियंत्रण रहा लेकिन कुछ महीनों या एकात वर्षो से ऐसा प्रतीत हो रहा है की सरकारी अमलो का इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह गया है जहा के अधिकारी और कर्मचारियों के मनमौजी चरम पर है जहां ग्राम पंचायत में खुले सचिवालय पर आने वाले ग्रामीण परेशान रहते हैं। यहां पर सचिव ही मौजूद नहीं रहते। इस कारण उनके कोई काम नहीं हो पाते। विशेष बात यह है कि वर्तमान प्रदेश सरकार में कर्मचारियों को आदेश दिया गया है कि वह समय से कार्यालय पर उपस्थित रहें, इसके बावजूद इसका असर यहां के ग्राम सचिवालय पर नजर नहीं आ रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार सूरजपुर जिले के जनपद पंचायत भैयाथान के अंतर्गत आने वाले अधिकाश ग्राम पंचायतों के सचिव अपने कार्यस्थल के सचिवालय में उपस्थित ही नहीं होते है ग्राम पंचायतों का भ्रमण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने बावत उच्च अधिकारियों द्वारा कई बार आदेश दिए जाने के बावजूद भी मैदानी स्तर पर क्षेत्राधिकारीओं द्वारा ग्रामीण स्तर का भ्रमण कर सचिवालय ग्राम पंचायत निरीक्षण, निर्माण कार्य का भौतिक परीक्षण, ग्राम सभा बैठक, ग्राम पंचायत बैठक, शासन की महत्वकांची योजना नारवा घुरवा बढ़ी योजनाा,  गौठान योजना, ग्रामीणों का राशन कार्ड, पेंशन प्रतिवेदन, आवेदन सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदन ग्रामीणों का शिकायत निराकरण करने वाला कोई नजर नहीं आता है जितने भी कार्य, जानकारी, शिकायत, निराकरण, जांच रिपोर्ट कार्य हो रहे है कागज पर हो रहे है ग्रामीण जन सरपंच सचिव का चक्कर लगा कर थक कर शिकायत पत्र योजनाओं का लाभ न मिलने पर ब्लॉक कार्यालय का चक्कर लगा लगा कर थक हार कर कई समस्याओं के निराकरण के लिए जिला मुख्यालय में जाने लगे हैं। जिला से जांच के लिए पत्र ब्लॉक आने पर ब्लॉक से किसी को भी औपचारिकता पूरी करने के लिए जांच हेतु पंचायत भेज दिया जाता है। जांच कर्ता के द्वारा बिना पूर्व सूचना दिए बिना सिकायतकर्ता के बयान के खानापूर्ति कर लिया जाता है यदि पंचायत स्तर पर ग्रामीणों का कार्य होता उनकी समस्या का निराकरण होता तो ब्लॉक, जिला स्तर में ग्रामीण जन जाते क्यों।
ब्लॉक स्तर पर अधिकारी कर्मचारी मोबाईल से कार्यालय में बैठ कर पंचायतों का कार्य संचालन करते है समस्त जानकारी भी बैठ कर मगाया जाता है। यह खेल विगत कई माह से खेला जा रहा है। जिला और जिला सीईओ के ऑर्डर व शासन प्रशासन के आदेश निर्देश को नजरंदाज कर अपने स्तर पर अधिकारी कर्मचारी कार्य कर रहे है। अधिकारियोंं को चाहिए की मैदानी स्तर तक कर्मचारियों को नियमित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर शासन प्रशासन के आदेशों निर्देशों का पालन कर सरकार द्वारा जारी महत्वकांक्षी योजनाओं का लाभ ग्रामीण तक पहुंचाया जाए और इसके लिए ग्राम पंचायत के सचिव को सचिवालय उपस्थित होने का निर्देश दिया जाए ताकि ग्रामीण अपनी समस्याओं का निराकरण करा सकें वह सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें।
बयान……..
आगामी जनपद पंचायत के सामान्य सभा की बैठक में इस विषय पर चर्चा कर ऐसे निष्क्रिय अधिकारी और कर्मचारी जो अपने कर्तव्य से भाग रहे हैं उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही हेतु प्रस्ताव लाया जाएगा  और जनपद सीईओ का इस ओर ध्यानआकर्षित कराया जायेगा – अभय प्रताप सिंह, जनपद सदस्य सभापति व निर्माण समिति के अध्यक्ष जनपद पंचायत भैयाथान जिला सूरजपुर छत्तीसगढ़।
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