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पारसी नववर्ष ‘नवरोज’, जानिए क्या कहता है इतिहास, गूगल ने डूडल बनाकर दी इसकी बधाई

साल 20 मार्च( march) को विश्व स्तर पर इंटरनेशनल नॉरूज़ डे मनाया जाता है। नौरोज़ या नवरोज़ (फारसी: نوروز‎‎ नौरूज़; शाब्दिक रूप से “नया दिन”), ईरानी( irani new year) नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी( pharsi) नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है। अंतर्राष्ट्रीय नॉरूज़( nowruz) दिवस हर साल “नोवरूज़” को मनाने के लिए मनाया जाता है।

क्या है इस दिन का महत्व ( importance)

सूर्योदय के साथ ही उत्सव शुरु हो जाता है। सुबह, सभी वयस्क, नवयुवक और बच्चे फावड़े उठाते हैं, किसी झरने या आरिक (छोटी नहर) पर जाते हैं और उसे साफ़ करते हैं। वे सम्माननीय वृद्ध लोगों के मार्गदर्शन में पेड़ भी लगाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, उन्हें कहना पड़ता है- ‘’लोगों की स्मृति में एक पूरा झुण्ड छोड़कर जाने से अच्छा है एक पेड़ छोड़कर जाना’’ और ‘’यदि आप एक पेड़ काटेंगे तो आपको दस पेड़ लगाने होंगे’’ इस रिवाज़ के पूरा होने के बाद, चमकीले कपड़ों( dresses) में सजे तीन हरकारे पूरे गाँव में सबको उत्सव में शामिल होने का निमंत्रण( invite) देते हैं।

भारत ( india) परंपराओं को आज भी जीवित

भारत में पारसी समुदाय आबादी के लिहाज से बेहद छोटा समुदाय है लेकिन यह नवरोज जैसे अपने त्यौहारों के माध्यम से अपनी परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए है।भारत जहां हर धर्म और जाति के लोगों को समान जगह और इज्जत दी जाती है वहां पारसी समुदाय के इस त्यौहार की भी धूम देखने को मिलती है।

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