
रायपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी की संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद से हासिये में गये भारतीय जनता पार्टी लगातार अपनी असतित्व बचाने की कवायद करते दिख रही है। जिसमें लगातार असफल साबित हो रही है। 65+ की टारगेट रखने वाली बीजेपी को भूपेश बघेल की नेतृत्व ने 440 वाट का झटका दिया है। जिसके झटके की दमक तीन साल बीत जाने के बाद भी दिखाई दे रही है।
बीजेपी की प्रदेश में बची खुची साख को पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूर्व मंत्री के द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ गाली-गलौच किये जाने का वायरल वीडियो ने सबकी बोलती बंद कर दी है। इतना ही नहीं प्रदेश बीजेपी के बड़े नेता इस पूरे मामले में दो गुटों में बटते नजर आये।प्रदेश बीजेपी पिछले कुछ सालों से छत्तीसगढ़ में नेतृत्व संकट से जूझ रहा है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के पास सीएम का चेहरा नजर नहीं आ रहा है। खबरों की मानें तो 15 साल तक सत्ता में रहने वाले डॉ. रमन सिंह पर पार्टी अब भरोसा नहीं करने वाली है। डॉ. रमन सिंह जो पिछले लंबे समय से आलाकमान के चहते बने हुए थे। अब पार्टी उन पर दांव नहीं खेलना चाह रही है।
2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी अभी से सीएम उम्मीद्वार के रुप में नए चेहरे की तलाश में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी अब नए चेहरे पर दांव खेलने की तैयारी बना रही है। हालांकि इसे प्रदेश के बड़े नेता पचा नहीं पा रहे हैं।
प्रदेश बीजेपी के अंदरुनी कलह ही उसे भारी पड़ती दिख रही है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश बीजेपी के राज्य व जिला संगठनों के बीच सहीं समन्वय की कमाई बताई जा रही है। साथ ही बड़े नेताओं की अपनी अलग-अलग गुटों को भी कारण के रुप में देखा जा रहा है।राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रदेश बीजेपी को 2023 में अपने अंदरूनी कलहों पर काबू पाना होगा। अन्यथा यह उसके लिए 2018 जैसी स्थिति हो सकती है।