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अभी भी जिंदा है इंसानियत…अमेरिका से वापस आकर भाई-बहन ने ढूंढा गरीब परिवार को…12 साल बाद चुकाया मुंगफली का कर्ज…

नई दिल्ली। बोलते हैं ना जो गरीबा होता है वो दिल का बहुत अमीर होता है। ऐसा ही एक उदाहरण आंध्रप्रदेश से आया है। जहां एक गरीब ने इंसानियन की मिशाल दिखाई। 12 साल पहले जिस मुंगफली वाले ने अमेरिका के भाई-बहन को फ्री में मुंगफली दी थी। उन मुंगफली का कर्ज 12 साल बाद दोनों भाई-बहन ने गरीब परिवार वाले को ढूंढकर उन मुंगफलियों का कर्ज चुकाया है।

दरअसल, साल 2010 में नेमानी प्रणव और उनकी बहन सुचिता आंध्र प्रदेश में एक ठेलेवाले के पास मूंगफली लेने गए थे। दोनों भाई-बहन अपने पिता मोहन के साथ आंध्र प्रदेश के यू कोथापल्ली बीच पर घूमने गए थे। इस दौरान उन्होंने देखा कि उनकी जेब में पैसे नहीं है और वह अपना पर्स घर पर भूल आए हैं।

मूंगफली लेने के बाद उन्होंने यह बात सत्तैया नाम के ठेलेवाले से बताई तो ठेलेवाले ने भाई-बहन को फ्री में मूंगफली दे दी। ठेलेवाले ने उनसे पैसे नहीं मांगे। इसके बाद दोनों भाई-बहन अपने पिता के साथ मूंगफली लेकर चले गए। मोहन ने ठेलेवाले से वादा किया था कि जल्द ही वह उसका उधार चुका देंगे। इस दौरान भाई-बहन ने सत्तैया ठेलेवाली की एक तस्वीर भी खींच ली थी, हालांकि वह जल्दी उधार चुका नहीं सके, क्योंकि वो NRI थे और उन्हें कुछ दिनों बाद अमेरिका लौटना पड़ा।

भले ही वह अमेरिका चले गए लेकिन उन्हें यह बात याद रही कि सत्तैया ठेलेवाले के पैसे चुकाने हैं. जब 11 साल बाद दोनों भाई-बहन दोबारा भारत आए तो उन्होंने सत्तैया ठेलेवाले के पैसे चुकाने के लिए उसे ढूंढना शुरू किया. दोनों भाई-बहन ने काफी खोजबीन की, लेकिन सत्तैया का कुछ पता नहीं चल सका. उनके पिता भी मूंगफली बेचने वाले सत्तैया के पैसे चुकाने के लिए काफी उत्सुक थे. सबने मिलकर सत्तैया को खूब ढूंढा, लेकिन उसका कुछ पता न चल सका.

इसके बाद उन्होंने काकीनाडा (Kakinada) के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी से सत्तैया का पता लगाने के लिए मदद मांगी. विधायक ने सत्तैया की तलाश में फेसबुक पर एक पोस्ट डाली. इसके बाद सत्तैया के पैतृक गांव नागुलापल्ली के कुछ लोगों ने बताया कि सत्तैया इस दुनिया में नहीं हैं और उनकी मौत हो चुकी है. ऐसे में नेमानी प्रणव और सुचिता सत्तैया के परिवारवालों से मिलने उनके गांव पहुंचे और उन्हें 25,000 रुपये की राशि देने का फैसला किया.

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